में हमेशा खुद को उस दोराहे पर खड़ा हुआ पाती हूँ जहाँ ना में अपनी खुशकिस्मती पर खुश हो पाती हूँ और ना ही अपनी बदकिस्मती पर रो पाती हूँ। अगर तुम मुझे संगेमरमर का समझते हो तो समझते रहो..... में तुम्हारे सामने रेत की दीवार नहीं बनना चाहती.......मुझे टूट जाने से खौफ आता है।
Tuesday, 24 March 2015
ढूंढ़ती हूँ में
ढूंढा तो बहुत पर कहीं नहीं मिले मुझे वो,
पर अब लगता है की हर जगह हर तरफ हैं वो,
इंसान की बेबसी में दिखते हैँ मुझे वो,
आँखों से निकलते आँसुओं मे भी है वो ,
क़यामत के दिन के मालिक भी वो और इंसान का नया जन्म भी वो,
दबी हुई उस हंसी में दिखती है मुझे उनकी झलक,
उन्हें याद करके अब रात भर नहीं झपकती मेरी पलक ,
कभी ठंडी हवाओं मे तो कभी बारिश की बूंदो मे,
कभी सीप मे छुपे उस मोती में तो कभी चाँद और सूरज में,
अपने होंसलों की उड़ान में देखा है मैंने उन्हें,
और अपने टूटे हुए परों मे भी पाया है,
वहीं हैं धूप वहीं हैं छाओं,
वहीं है मेरी आस और अब वहीँ हैं मेरे पास,
मेरा आने वाला कल,मेरा बीता हुआ पल और मेरा आज भी वही,
मेरी हसरतें, मेरा जुनून और मेरी दुआएँ भी वही,
करती हूँ रात दिन जिसका इंतज़ार भी वही,
कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढा मैंने उन्हें उम्र भर,
भटकती रही जिसकी तलाश में मैं दरबदर,
मिली ना जिसकी मुझे कभी कोई खबर,
उनकी एक झलक देखने के लिए तरसती रही मेरी नज़र,
अब जाना तो समझ आया की मेरे हर लफ्ज़, हर ख़्याल और हर कोशिश में मेरे साथ ही तो थे वो ज़िन्दगी भर।
पर अब लगता है की हर जगह हर तरफ हैं वो,
इंसान की बेबसी में दिखते हैँ मुझे वो,
आँखों से निकलते आँसुओं मे भी है वो ,
क़यामत के दिन के मालिक भी वो और इंसान का नया जन्म भी वो,
दबी हुई उस हंसी में दिखती है मुझे उनकी झलक,
उन्हें याद करके अब रात भर नहीं झपकती मेरी पलक ,
कभी ठंडी हवाओं मे तो कभी बारिश की बूंदो मे,
कभी सीप मे छुपे उस मोती में तो कभी चाँद और सूरज में,
अपने होंसलों की उड़ान में देखा है मैंने उन्हें,
और अपने टूटे हुए परों मे भी पाया है,
वहीं हैं धूप वहीं हैं छाओं,
वहीं है मेरी आस और अब वहीँ हैं मेरे पास,
मेरा आने वाला कल,मेरा बीता हुआ पल और मेरा आज भी वही,
मेरी हसरतें, मेरा जुनून और मेरी दुआएँ भी वही,
करती हूँ रात दिन जिसका इंतज़ार भी वही,
कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढा मैंने उन्हें उम्र भर,
भटकती रही जिसकी तलाश में मैं दरबदर,
मिली ना जिसकी मुझे कभी कोई खबर,
उनकी एक झलक देखने के लिए तरसती रही मेरी नज़र,
अब जाना तो समझ आया की मेरे हर लफ्ज़, हर ख़्याल और हर कोशिश में मेरे साथ ही तो थे वो ज़िन्दगी भर।
Wednesday, 11 March 2015
निशान-ए-हैदर
कैसी है जंग ये,
क्यों नहीं होती खत्म ये,
रोज़ लड़ती हूँ , थकती हूँ , गिरती हूँ और फिर उठ खड़ी होती हूँ ,
फिर भी नहीं थमता सफर ये,
ना जाने कैसा ये समंदर है जहाँ मिलता नहीं किनारा मुझे,
ज़िन्दगी लगती है महाज़-ए-जंग जैसी,ना जाने कब मिलेगा निशान-ए-हैदर मुझे,
पर फिर भी लड़ती रहूंगी मैं तब तक,जब तक नहीं दिखेगा शगाफ़ मुझे,
मिल जाये जो अपने रब की मोहब्बत तो फिर मिले ना मिले निशान-ए-हैदर मुझे,
डालें वो मुझ पर अपनी एक नज़र,इससे पहले की ये ज़माना कर दे दरबदर मुझे,
वही हैं अब मेरी आखिरी आरज़ू जिसकी अब हुई है कदर मुझे।
क्यों नहीं होती खत्म ये,
रोज़ लड़ती हूँ , थकती हूँ , गिरती हूँ और फिर उठ खड़ी होती हूँ ,
फिर भी नहीं थमता सफर ये,
ना जाने कैसा ये समंदर है जहाँ मिलता नहीं किनारा मुझे,
ज़िन्दगी लगती है महाज़-ए-जंग जैसी,ना जाने कब मिलेगा निशान-ए-हैदर मुझे,
पर फिर भी लड़ती रहूंगी मैं तब तक,जब तक नहीं दिखेगा शगाफ़ मुझे,
मिल जाये जो अपने रब की मोहब्बत तो फिर मिले ना मिले निशान-ए-हैदर मुझे,
डालें वो मुझ पर अपनी एक नज़र,इससे पहले की ये ज़माना कर दे दरबदर मुझे,
वही हैं अब मेरी आखिरी आरज़ू जिसकी अब हुई है कदर मुझे।
Tuesday, 10 March 2015
Yesterday....
Its just the beginning of the new day;
With lot of desires and emotions still to display;
A bit scared,my this day just not flyaway,
I want to see it shines bright despite of dissolving in gray;
I believe I will reach my destiny as I don't want to return from halfway;
The road is looking muddy, I wish I get a highway;
Want to go close to him but unfortunately I have to walk alone anyway;
I know he will never come back but still waiting for him everyday;
Why I thought he take care of my feelings when I was sure he will betray;
After killing my soul,he easily walked away;
I really want to live in today but I don't know why I can't come out from yesterday?
With lot of desires and emotions still to display;
A bit scared,my this day just not flyaway,
I want to see it shines bright despite of dissolving in gray;
I believe I will reach my destiny as I don't want to return from halfway;
The road is looking muddy, I wish I get a highway;
Want to go close to him but unfortunately I have to walk alone anyway;
I know he will never come back but still waiting for him everyday;
Why I thought he take care of my feelings when I was sure he will betray;
After killing my soul,he easily walked away;
I really want to live in today but I don't know why I can't come out from yesterday?
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