इंसान अपनी पूरी ज़िन्दगी इसी उम्मीद में जी लेता है कि शायद कल की सुबह आज की सुबह से बेहतर होगी।
Tuesday, 18 February 2020
Monday, 3 February 2020
फिर नहीं आते...
डूबी हुई कश्ती अगर किनारा पाना चाहे तो क्या मिलेगा,
बेवफा दिल से जज़ा मांगी जाये तो क्या मिलेगा,
पतझड़ में मुरझाये हुए फ़ूल फिर से खिलना चाहें तो क्या मिलेगा,
जो यकीन एक बार टूट जाये वो फिर से जुड़ना चाहे तो क्या मिलेगा,
दिल से खोयी हुई मुहब्बत फिर अपना वजूद ढूंढ़ना चाहे तो क्या मिलेगा,
बिछड़े हुए लोग वापस आना चाहे तो क्या मिलेगा,
जो वक़्त एक बार गुज़र गया तो क्या वो वापस आ पायेगा,
और अगर आ भी गया तो क्या मिलेगा ??
बावरा मन..
ज़िन्दगी की इतनी अनसुलझी पहेलियाँ जिसका कोई जवाब नहीं,
ना जाने कितनी ही ऐसी हसरतें जिनका कोई मक़ाम नहीं,
दिल से निकलती कितनी दुआएं जिनकी कोई कबूलियत नहीं,
मन का अँधेरा दूर कर दे ऐसी कोई रोशनी नहीं,
आँखें दुनिया तो देखती हैं पर अब शायद सपने नहीं,
दिल तो अब भी धड़कता है बस अब उसमे कोई जज़्बात नहीं,
खुदा पर यकीन तो आज भी है बस अब उससे पहले जैसी मुहब्बत नहीं,
सुबह तो कल भी होगी पर अब मुझे उसका इंतज़ार नहीं ......
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