टूटे हुए सपनों की चुभन मेरे दिल को तड़पायेगी;
ना जाने कैसे ये रात बीत पायेगी.....
चाँद की चमक मुझे मेरे मन में बसे अँधेरे का एहसास करायेगी;
कौन जाने कैसे ये रात बीत पायेगी......
उस नन्हीं सी कली को देखकर ऐसा लगा जैसे सवेरे तक खिल जाएगी;
शायद इसी इंतज़ार में ये रात बीत जायेगी......
सोचा ना था एक ठंडी हवा की पुरवाई इन पलकों को भारी कर जायेगी;
अब शायद ये रात गुज़र ही जायेगी.........
काली रात में जब सूरज की पहली किरण आएगी,मेरी उम्मीदों का दिया फिर से जलाएगी;
में जानती हूँ ये रात बीत जायेगी............
अँधेरे से गुज़रते हुए एक नई सुबह आएगी;
हाँ,मुझे यकीन है ये रात बीत जाएगी.............
ना जाने कैसे ये रात बीत पायेगी.....
चाँद की चमक मुझे मेरे मन में बसे अँधेरे का एहसास करायेगी;
कौन जाने कैसे ये रात बीत पायेगी......
उस नन्हीं सी कली को देखकर ऐसा लगा जैसे सवेरे तक खिल जाएगी;
शायद इसी इंतज़ार में ये रात बीत जायेगी......
सोचा ना था एक ठंडी हवा की पुरवाई इन पलकों को भारी कर जायेगी;
अब शायद ये रात गुज़र ही जायेगी.........
काली रात में जब सूरज की पहली किरण आएगी,मेरी उम्मीदों का दिया फिर से जलाएगी;
में जानती हूँ ये रात बीत जायेगी............
अँधेरे से गुज़रते हुए एक नई सुबह आएगी;
हाँ,मुझे यकीन है ये रात बीत जाएगी.............
No comments:
Post a Comment