जिस प्रकार पहाड़ की चोटी पर चढ़ने की आकांशा रखने वाला मनुष्य; रस्ते में आने वाली हर चुनौती के मुताबिक खुदको ढ़ालता है मगर पहाड़ अपने आप को मनुष्य के सामर्थ्य के अनुसार नहीं ढ़ालता,
उसी प्रकार हमें जीवन को अपने योग्य नहीं; खुदको जीवन के योग्य बनाना चाहिए !!
उसी प्रकार हमें जीवन को अपने योग्य नहीं; खुदको जीवन के योग्य बनाना चाहिए !!
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