में हमेशा खुद को उस दोराहे पर खड़ा हुआ पाती हूँ जहाँ ना में अपनी खुशकिस्मती पर खुश हो पाती हूँ और ना ही अपनी बदकिस्मती पर रो पाती हूँ। अगर तुम मुझे संगेमरमर का समझते हो तो समझते रहो..... में तुम्हारे सामने रेत की दीवार नहीं बनना चाहती.......मुझे टूट जाने से खौफ आता है।
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